माँ का रिश्ता सबसे प्यारा

दुनिया में है सबसे ऊपर,
रिश्ता माँ का कितना प्यारा।
माँ की ममता, माँ की करुणा,
अपनापन माँ का, कितना न्यारा
रिश्ता माँ का - -

बेटा-बेटी के सुख के खातिर,
खुद करती कष्टों में गुजारा।
चिन्ता माँ को हर पल रहती,
मन ही मन वो चिन्ता करती।
परदेश में हो जब उसका दुलारा।
रिश्ता माँ का- -

सुख-दुख में वो हँसती रोती,
बच्चों के सुख में खुश है रहती।
दुनिया के हर छोर पे जाकर,
देखा है माँ की ममता धारा।
रिश्ता माँ का- - - -

मेरे दुख में थे नीर नयन में,
माँ के आँसू पावन जीवन में।
कैसी होती माँ सब जग जाने।
दिया है माँ ने जीवन प्यारा।
रिश्ता माँ का कितना प्यारा।
कितना है ये न्यारा-न्यारा।

रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

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