एक से बीस

हम गुड़िया की शादी में जाएँगे,
अब खूब मिठाई खाएँगे।
एक दो तीन चार पाँच,
गुड्डा गुड़िया नाच।
हम भी नाचेंगे,
पूरी बारात नचाएँगे।
छे सात आठ नौ दस,
बाराती आएँगे बाई बस।
हम धूम मचाएँगे,
खूब पटाके छुटाएँगे,
हम गुड़िया की शादी में जाएँगे।
ग्यारह बारह तेरह
लो शुरू हो गए फेरा।
अब हम गाना गाएँगे,
ठुमके लगाएँगे।
चौदह पंद्रह सोलह,
ओहो पड़ने लग गए ओला।
बर्फ का गोला खाएँगे,
सबको खिलाएँगे।
सत्रह अठारह उन्नीस बीस,
अब शादी हो गयी फिनिश।
गुड़िया खूब रोयेगी हम उसको चुप कराएँगे,
वो अपने घर जाएगी हम कल स्कूल आएँगे।
कल गुड़िया को फिर से बुलाएँगे,
हम गुड़िया की शादी रचाएँगे।
   
रचयिता
आकांक्षा सिंह तोमर,
सहायक अध्यापक,
प्राइमरी स्कूल झरोइया सेकंड,
विकास खण्ड-कोथावां,
जनपद-हरदोई।

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