मेरी माँ

मेरी प्यारी-प्यारी माँ
सारे जग से न्यारी माँ
किया अंकुरित लहू से अपने मुझको तूने माँ
हुआ क्षिति पर प्रवेश मेरा तत्क्षण अंक में समेटा तूने माँ

लोरी गाकर मुझे सुलाती माँ
चेहरे पर मीठी सी मुस्कान लिये हर भोर मुझे उठाती माँ
मुझको इतना प्यार दिया माँ
सारा जीवन मुझ पर वार दिया माँ
मेरी प्यारी-प्यारी माँ...

जब भी मैं हठ कर जाती
हठ पूरी कर तुरन्त मनाती माँ
मेरी चेहरे की एक झलक से ही
मेरे दिल का हाल जान जाती माँ
मेरे एक आँसू पर अपनी जान लुटाती माँ
मेरी एक मुस्कान के खातिर
लाखों जतन कर जाती माँ
मेरी प्यारी-प्यारी माँ.....

स्नेह पायस्विनी सी कल-कल बहती माँ
भावनाओं के झंझवातों को सहती माँ
हर रिश्ते की अहमियत हमें बताती माँ
दुनियाँ की हर मुश्किल से लड़ना हमें सिखाती माँ
मेरी प्यारी-प्यारी माँ...

तेरी खिदमत से दुनिया में अजमत मेरी माँ
तेरे आशीष से ही बरकत मेरी माँ
ममता, करुणा, त्याग की सूरत है माँ
इंसान के रूप में तू भगवान की मूरत है माँ
मेरी प्यारी-प्यारी माँ.....

तू मंदिर है, तू मस्जिद है
तू ही गिरजाघर, गुरुद्वारा माँ
तू ही सभी सुखों का संगम
तू ही मेरा सहारा माँ
तुझसे ही मेरा जीवन शुरू है माँ
तू ही मेरी पहली गुरू है माँ
मेरी प्यारी-प्यारी माँ
सारे जग से न्यारी माँ

रचयिता
रीनू पाल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय दिलावलपुर,
विकास खण्ड - देवमई,
जनपद-फतेहपुर।

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