माँ

केवल तुम नारी नहीं, मेरा मान, सम्मान व अभिमान हो। तुम हो तो यह सारा संसार है।। तुम मेरी श्रद्धा हो। समस्त परम आदरणीय, श्रद्धेय व पूज्यनीय मातृशक्ति को "माँ दिवस" के पावन व पुनीत पर्व पर डॉ0 ललित कुमार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ व मंगलकामनाएँ। माँ आदिशक्ति आपश्री के समस्त कष्टों, दुःखों, समस्याओं व विषमताओं को अविलंब निवारण करें।

माँ शब्द नहीं है मेरे प्यारे,
                 इसमें संसार समाया है।
माँ का आँचल है, गगन समान
                 इसमें जीवन की छाया है।
गीले में खुद सो जाती थी,
                 सूखे में मुझे सुलाया है।
मैं रो पड़ता था, बेमतलब जब
                माँ के हाथों ने मुझे झुलाया है।
माँ भोर उदय की बेला है,
                माँ से सतरंगी मेला है।
माँ ममता की मूरत है,
                इसमें सागर लहराया है।
माँ के चरणों में चार धाम,
                माँ के चरणों में जन्नत है।
माँ को खुशियाँ मिले अपार,
                बस यही ईश्वर से मन्नत है।

रचयिता
डॉ0 ललित कुमार,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय खिजरपुर जोशीया, 
विकास खण्ड-लोधा, 
जनपद-अलीगढ़।

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