विश्व दिव्यांग दिवस
न आये दिव्यांग जनों में हीनता का विचार।
मिले उनको सदा समानता का अधिकार।
प्रोत्साहन हेतु दिए जाते हैं उनको पुरस्कार।
हैं समाज में वह भी बराबर के हकदार।
3 दिसंबर 1992 से दिन है दिव्यांग जनों के नाम।
सरकारी नौकरी में मिलती है वरीयता और सम्मान।
दिव्यांग जनों को काम देकर बनाते हैं स्वावलंबन।
चलते हैं इनके लिए बड़े-बड़े चैरिटी, फाउंडेशन।
रचयिता
शालिनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बनी,
विकास खण्ड-अलीगंज,
जनपद-एटा।
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