विजय दिवस

16 दिसंबर 1971 हुई ऐतिहासिक जीत,

पाकिस्तान पर भारत की थी बड़ी जीत।

समर्पण किया 93000 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने,

स्वतंत्र हुआ पूर्वी पाकिस्तान, जीत के गाए गीत।।


देशवासियों के हृदय में उठी एक उमंग,

हर तरफ दिख रही थी जीत की तरंग।

विजय दिवस नाम इसे दिया गया,

बांग्लादेश के जन्म की भी थी उमंग।।


उपमहाद्वीप के इतिहास का निर्णायक क्षण,

वायु सेना, नौसेना, सशस्त्र बल की प्रगति का क्षण।

तत्कालीन प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया पूर्ण समर्थन,

बंगाली शरणार्थियों के पलायन का था क्षण।।


माँ भारती की रक्षा में प्रतिक्षण डटे सैनिक,

सरहद की रखवाली में सजग था हरेक।

मातृभूमि को प्राणों से अधिक जिन्होंने माना था,

नमन करूँ कर जोड़कर देश के मेरे सैनिक।।


विजय कथा सुनाना आसान है बहुत,

पद- चिन्हों पर चल पाना मुश्किल है बहुत।

जज्बा हो अगर कुछ कर गुजरने का,

सम्मान दें हमारे सैनिकों को, इतना ही है बहुत।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,

जनपद-बाँदा।


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