बढ़ता चल रुक मत तू
तन की विकलांगता को,
मन पर मत हावी होने दो।
दीन-हीन समझकर खुद को,
मनोबल ना खोने दो।।
बढ़ता चल रुक मत तू,
चाहें हो बैसाखी का सहारा।
मिलेगी सफलता तुझको,
मत समझ तू खुद को हारा।।
मंजिल पर ध्यान लगा,
तानों से तू मत घबरा।
सहनशीलता, धैर्य तू रख,
साहस से कुछ कर दिखला।।
अरुणिमा सिन्हा की कहानी,
सुन, समझ जोश जगा।
छू लिए पर्वत थे उसने,
मंजिल तू भी पा के दिखा।।
व्हीलचेयर में बैठाया किस्मत ने,
संदीप सिंह न घबराया।
23 घंटे चलने की प्रैक्टिस कर,
एक दिन अर्जुन अवार्ड पाया।।
भरे पड़े कितने उदाहरण,
प्रेरणा इनसे ले जा।
जीवन है संघर्ष तो,
कदम बढ़ा सफलता पा।।
ऐ समाज के लोगो,
इंसानियत तुम दिखलाओ।
बदल अपना नजरिया,
मन की विकलांगता भगाओ।।
समावेशी और सुलभ,
अनुकूल माहौल बनाओ।
ना रहे भेदभाव इनसे,
स्वावलम्बी इन्हें बनाओ।।
रचयिता
ज्योति विश्वकर्मा,
सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,
विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,
जनपद-बाँदा।
Comments
Post a Comment