गीता जयंती

कर्म की राह पर चलना सिखाती हमें गीता।

 पाप पुण्य का परिणाम बताती है श्रेष्ठ गीता।।


 हो चुका, हो रहा और होगा सब अच्छा कहे गीता।

 मन, भय, क्रोध को वश में करना सिखाती है गीता।।


 सुख और दुख में रहो समान कहे सदा ही गीता।

 संतुष्ट रहे जो आत्मा से उसने ही जग को जीता।।


 जीवन का सत्य मृत्यु है मानव सुन कहती गीता।

 घर अपने एक दिन जाना सत्य वचन है गीता।।


 सत रज तम गुणों का बखान सुनाती है गीता।

 जाग्रत स्वप्न स्वप्नवस्थाओं का दर्पण दिखाती गीता।।


 निष्काम कर्म की श्रेष्ठता को वरीयता देती गीता।

 बिन फल की इच्छा से कर्तव्य पालन सिखाती गीता।।


 समय के साथ चलना सिखाती है श्रेष्ठतमा गीता।

 साहस की होती सदा ही जीत हमें बताती गीता।।


 हर मानव जीवनकाल में एक बार तो पढ़ें गीता ।

 नमन करूँ श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में कही पावन गीता।।


रचयिता

गीता देवी,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,

विकास खण्ड- बिधूना, 

जनपद- औरैया।



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