बाबा साहब
तर्ज-दिल जान जिगर
बाबा साहब आपने
सपने साकार किए हैं।
एहसान किए हैं,
बड़े एहसान किए हैं।
लाचारों को खुशियों के,
वरदान दिए हैं।
एहसान किए हैं,
बड़े एहसान किए हैं।
तुमने भी झेली थीं लाखों मुसीबत,
दर्द भरी है ये सच्ची हकीकत।
शिक्षा थी दूर हमसे,
थे सम्मान को तरसते।
तुमने अधिकार हमें सारे दिए हैं,
एहसान किए हैं,
बड़े एहसान किए हैं।
बाबा साहब..........
छुआछूत, जातिवाद जड़ से मिटाया,
महिलाओं को भी सम्मान दिलाया।
गरीबों और दलितों को,
किसान और श्रमिकों को।
हक उनके सारे उनको दिए हैं,
एहसान किए हैं,
बड़े एहसान किए हैं।
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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