बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'

द्विवेदी युग के कवि महान,

बालकृष्ण शर्मा नवीन।

भाषा खड़ी बोली हिन्दी,  

ना रही ब्रजभाषा विहीन।।


जन्मे मध्य प्रदेश के, 

भयाना नामक ग्राम। 

पिता जमुना दास शर्मा, 

पुरोहिती का करते काम।।


राष्ट्रीय आन्दोलन की चेतना, 

साहित्य में नजर आए।

गांधी दर्शन से भरे, 

स्वच्छन्दतावादी स्वर अपनाए।।


संवेदनाओं की ऊर्जा, 

कविता विकास दर्शाती है।

विद्रोह पूर्ण राष्ट्र-प्रेम, 

भक्ति भावना बरसाती है।।


अध्ययन काल ही बना, 

हलचलों का परिचायक।

मिला साहित्यिक वातावरण, 

राष्ट्रीय आन्दोलन के लायक।।


प्रताप का किया इन्होंने, 

जब नियमित अध्ययन।

लिया भाग सदा तब, 

जब हुए कांग्रेस अधिवेशन।।


पहली साहित्यिक रचना 'सन्तू' 

एक कहानी विधा में थी।

उस समय की प्रसिद्ध पत्रिका,

सरस्वती में छपने को दी।।


जीव ईश्वर वार्तालाप,

शीर्षक में कविता लिखी।

साहित्य में नाम मिला, 

मैथिली माखन को प्रतिभा दिखी।।


कुल छ: जेल यात्राओं में, 

नौ साल जेल में बिताए।

इसी अन्तर्द्वंद में लिखी, 

जीवन की सर्वोत्तम रचनाएँ।।


रश्मि रेखा, क्वासि, अपलक,

हम विषपायी जन्म के।

प्रेरणा हजारी प्रसाद की दिखे,

उर्मिला के प्रणयन में।।


पाथेय बनी ओजपूर्ण शैली, 

भावात्मक पक्ष रहा महान। 

प्रभा का झण्डा अंक बना, 

इनकी पत्रकारिता की शान।।


पत्रकारिता को जिया, 

साहित्य को सब कुछ दिया। 

1960 में पद्म भूषण से, 

सरकार ने अलंकृत किया।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।

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