यूनिसेफ स्थापना दिवस

घनघोर कालिमा में युद्ध की,

घिरा हुआ था जब संसार।

उजड़ रहे थे देश के देश, 

बढ़ रहे थे चहुँओर विकार।।


विश्व युद्ध के उस दौर में, 

जिसने सब कुछ खोया था। 

वह मासूम-सा बचपन था, 

जो खुलकर कभी न रोया था।।


हर पल डर-डर कर जीना, 

नियति जिसने मान लिया। 

आहें जिसकी सुनकर के, 

महासभा ने ध्यान दिया।।


यूनिसेफ की हुई स्थापना,

दिखी किरण रोशनी की। 

11 दिसम्बर 1946 को पड़ी,

नींव संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की।।


स्वास्थ्य और खाना थे, 

इसके आरम्भिक उद्देश्य।

बेहतर कार्यों के लिए,

मिला शान्ति नोबेल विशेष।।


बढ़ गयी हैं प्राथमिकताएँ, 

बुनियादी शिक्षा, विकास जोड़ा।

बाल अधिकारों को जगाया, 

जिनसे समाज ने मुँह मोड़ा।।


मुख्यालय है न्यूयार्क में, 

पुनर्वास की करें व्यवस्था। 

इससे पहले कोई संगठन,

ऐसा विश्वव्यापी ना था।।


लैंगिक आधार पर असमानता, 

कभी नहीं उसने सहा। 

बालिका शिक्षा बहुत जरूरी, 

हर पल यूनिसेफ ने कहा।।


एचआईवी पीड़ित बच्चों के, 

खातिर संघर्ष छेड़ दिया। 

यूनिसेफ ने शोषण, 

बाल श्रम का विरोध किया।।


36 सदस्यों की है टीम, 

जान लगाती जो हर पल।

ना छिने फिर बचपन कहीं, 

खबर रखती है पल-पल।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।


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