अन्नदाता
करें हम तेरी जय जयकार,
हैं तेरे हम पर उपकार।
अन्नदाता मेरे सरकार,
तुम जग के पालनहार।
तू जग की भूख मिटाए,
जब खेतों में अन्न उगाए।
लाए सब्जी फलों की बहार,
तुम जग के पालनहार।
बिन तेरे भूख मिटे ना,
तन मन को शक्ति मिले ना।
जग में मच जाए हाहाकार,
तुम जग के पालनहार।
चले तुझसे अर्थव्यवस्था,
तुम उन्नति का हो रस्ता।
मिलें जग को खुशियाँ अपार,
तुम जग के पालनहार।
है मिट्टी से तेरा नाता,
धरती माँ तेरी माता।
मेहनत है तेरा हथियार,
तुम जग के पालनहार।
तेरे घर में खुशियाँ महकें,
सुख बनकर चिड़ियाँ चहकें।
गुण गाए तेरा संसार,
तुम जग के पालनहार।
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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