इन्दिरा जी को नमन

19 नवम्बर 1917 को,

नेहरू के घर गुड़िया जन्मी।

नाम रखा उसका,

इन्दिरा  प्रियदर्शिनी।।


बाल्यकाल से ही थे उसमें, 

नेतृत्व के गुण सारे।

वानर सेना बना बनाकर,

करती थी वे खेल निराले।।


जनवरी 1966 में  बनीं, 

वे भारत की मुखिया। 

विश्व पटल पर नाम कमाया, 

अपना लोहा भी मनवाया।।


क्रूर काल का दिन वह आया,

31अक्टूबर 1984 को।

उनके  ही अंगरक्षक ने,

उनको मार गिराया।।


लास्ट स्पीच थी इन्दिरा जी की,

मैं  रहूँ या न रहूँ, मेरे खून का एक-एक कतरा।

आये इस देश के काम,

 उनकी आज पुण्यतिथि पर, करते  उन्हें प्रणाम।।


रचयिता

सरिता तिवारी,

सहायक अध्यापक,

कम्पोजिट विद्यालय कन्दैला,

विकास खण्ड-मसौधा, 

जनपद-अयोध्या।



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