भाईदूज

भाईदूज का पर्व निराला,

डोर प्यार की बाँधने वाला।

भाई-बहन का ये त्योहार,

प्यार भी जिसमें रहे अपार।।


कुमकुम से है तिलक लगाये,

अक्षत भी उस पर चिपकाये।

उम्र भाई की बढ़ती जाए,

आशीष बहन ये देती जाए।।


सदा है सिर पे जिसका हाथ,

बचपन से जो रहती साथ।

बहनों से रिश्ता है खास,

सुख-दुख मे रहती जो पास।।


भाई-बहन का साथ ना छूटे, 

डोर प्यार की कभी ना टूटे।।


रचयिता

अंकुर पुरवार,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय सिथरा बुजुर्ग,

विकास खण्ड-मलासा,

जनपद-कानपुर देहात।


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