पुरुषोत्तम राम

इहलोक की देख दुर्दशा

फिर मानवता यज्ञ करे!!

हे अग्निदेव पधारो

लिए ओज और पुंज प्रकाश

फिर धरती पर उपजे भगवन

धरती का करने उनमान।

नारी के सम्मान पर देखो

कुदृष्टि पड़ी है रावण की

तृण की शक्ति दिखलाने

आओ हे रघुवर फिर आओ।

असत्य अधर्म अनाचार का

धरती से प्रतिरूप मिटाओ।

कब तक होगी अग्निपरीक्षा??

कब तक अहिल्या शिला बनेगी??

कब तक यूँ विश्वास छलेगा

रावण वेश बदल कर प्रतिपल

कब तक यूँ होगा अनाचार!!

शील हुई है तार तार !!

और मर्यादा भी हुई नग्न!!!

समता और सम्मान दिलाने

आओ अब पुरुषोत्तम राम।।


रचयिता

मंजरी सिंह,

प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उमरी गनेशपुर,
विकास खण्ड-रामपुर मथुरा,
जनपद-सीतापुर।

Comments

Total Pageviews