मंजिलें मिलेंगी

कठिन हो भले डगर
रूकें नहीं कदम मगर
लक्ष्य तक पहुँचना है तो,
रुक नहीं, रुक नहीं, रुक नहीं।

जब तू रुकेगा नहीं
जब तू थमेगा नहीं
मंजिलें मिलेंगी बस
यकीन रख, यकीन रख, यकीन रख

भाग्य गर बदलना है
कर्म पर फिर चलना है
राह नई बनेंगी ये
सोच रख, सोच रख, सोच रख।

शिक्षा ही मार्ग है
उन्नति का द्वार है
तस्वीर गर बदलनी है
रंग भर, रंग भर, रंग भर।

रचयिता
रंजना वर्मा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बैलो,
विकास खण्ड-भटहट,
जनपद-गोरखपुर।

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