आज़ादी

आजादी का बिगुल बजा है,
     दुश्मन के छक्के  छूटे/
जन-जन में थी,जगी लालसा,
       स्वतंत्रता के स्वर फूटे /
शहीद हो गये लाखों जीवन,
       लाखों के सिंदूर मिटे/
लाखों बहनों की राखी टूटीं,
         तो आजादी के स्वप्न फले/
आजादी का क्या रस है,
       उस बंदी तोते  से पूछो
   कटु कितना है गुलामी का रस
जकड़े दासों से पूछो /
   लाखों कुर्बानी देकरके,
आजादी हमने पायी है/
रखना इसको है अमर सदा,
       इसमें ही सबकी भलाई है/
   
रचयिता
रमेश चंद्र शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय पाटकुआँ,
विकास खण्ड-टड़ियावाँ,
जनपद-हरदोई।

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