नागासाकी दिवस

9 अगस्त 1945

वह वीर नहीं हो सकता है
की जो निरीह पर वार करे।

निर्दोष बेचारी जनता को
जो मरने पर लाचार करे।।

उस हृदयहीन अमरीका की
हुई नही ठंडी छाती।

विध्वंस किया हिरोशिमा को
अब बारी थी नागासाकी।।

9th agusut पैंतालीस को
जब fatman ने वार किया।

80,000 की संख्या में
मासूमों का संहार किया।।

39000 डिग्री सेल्सियस की
प्रबल ऊष्मा प्रकट हुई।

मृत्यु की ज्वालायें लपकीं
पल भर में धरती दग्ध  हुई।

वायुवेग था 1000 प्रति
किलोमीटर घन्टे की गति।

प्लूटोनियम 239 बम
21 किलो टन TNT.

 जिद्दी अमेरिका जीत गया
लाशों के ढेर गिना करके।

कायर गीदड़ सी हरकत की
अपने को शेर बता करके।

उस हरी भरी हरियाली को
विकरण का जंगल बना दिया।

सदियों से समृद्ध धरती को
परमाणु बम से जला दिया।।

इन संहारक हथियारों का
उपयोग नही करने देंगे।

हम विश्व शांति के अनुयायी
सबको सन्देश यही देंगे।
       
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।

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