बेटियों को अधिकार दो

मैं तो तेरी बेटी हूँ प्यार दो दुलार दो,
हमें जनम लेने का जरा अधिकार दो,
प्यार दो दुलार दो जरा पुचकार दो,
गोद में उठाकर के ममता की छाँव दो...

विश्वदरा बनूँगी, अपाला बन जाऊँगी,
घोषा बनकर के तेरा मान मैं बढाऊँगी,
वेदों में वर्णित नारी का सम्मान दो,
मुझे जनम लेने का जरा अधिकार दो...

कल्पना सी मुझको उड़ान भरने दो,
दीदी सुनीता सा मान करने दो,
सायना, सानिया सा मुझको विश्वास दो,
हमें जनम लेने का जरा अधिकार दो...

बिटिया न होगी तो बहू कहाँ पावोगे,
माता के सुख से भी वंचित रह जावोगे,
बहू,बेटी बहना का मुझको स्थान दो,
माता सा मुझको तुम सम्मान दो,
हमें जनम लेने का जरा अधिकार दो....

रचयिता
सुषमा त्रिपाठी,
प्रधानाध्यापिका, 
प्राथमिक विद्यालय रुद्रपुर,
विकास खण्ड-खजनी,
जनपद-गोरखपुर।

Comments

  1. Waah waah....बेहतरीन रचनाशीलता के लिए धन्यवाद

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