गुरू हमारे सबसे प्यारे

सबसे प्यारे गुरू हमारे
हम सब उनकी आँख के तारे।।
गुरू हमारे नित्य हैं आते,
खेल-खेल में हमें सिखाते।

कठिन विषय आसान बनाते,
जो भी पूछो उसे बताते।।
मिशन शिक्षण संवाद के द्वारा,
नवाचार से ज्ञान कराते।।

समय से कक्षा कक्ष में आकर,
पूरा अपना पाठ पढ़ाते।।
घण्टा अगर कोई खाली हो,
कक्षा कार्य हमें दे जाते।।

होम वर्क वो रोज कराते,
नये-नये वो खेल खिलाते।।
अगर उदास देख लें हमको,
हम सबको वो खूब हँसाते।।

ग़लती अगर कभी कर बैठें,
कभी नहीं हम पर चिल्लाते।।
बेटा कहकर हमें बुलाते,
प्यार से हमको वो समझाते।।

अच्छी-अच्छी बात बताते,
मानवता का पाठ पढ़ाते।।
क्रिकेट,कबड्डी या बैडमिन्टन,
खो-खो भी हमको खिलवाते।।

कभी पकड़कर खुद बल्ले को,
वो भी हैं बच्चे बन जाते।।
कभी किसी से भेद न करते,
हम सबको वो प्यार हैं करते।।
ऐसा गुरू सभी को देना,
हम सबका प्रभु से है कहना।।

रचयिता
ओमकार पाण्डेय,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय किरतापुर,
विकास क्षेत्र-सकरन,
जनपद सीतापुर।

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