श्रावण पूर्णिमा-रक्षाबंधन

श्रावण पूर्णिमा
    रक्षाबंधन

दक्षिण में नारियली,अवनी,
अवित्तम है
मध्य भारत में कजरी पूनम कहलाती है।

रक्षाबंधन कहते हैं उत्तर भारत में
गुजरात मे पवित्रोपना
कही जाती है।।

अलग-अलग रूप में मनाते
सारे राज्य श्रावण की पूर्णिमा
 मिठास बन के आती है।।

रेशम की डोरी कहे भाई होवे
चिरंजीवी बहन की आशीष
फलीभूत हो जाती है।।

लक्ष्मी ने राखी बाँध, राजा बलि
को इसे सूत्र ने देव-दानव मिलाया था।

वचन में वद्ध श्री हरि द्वारपाल बने
रक्षा सूत्र बाँध क्षीरसागर लौटाया था।।

द्वापर में शिशुपाल वध किया
श्रीकृष्ण चक्र ने ऊँगली में
चोट पहुँचाया था।

पटरानियों को सूझी नहीँ द्रोपदी
ने साड़ी फाड़ श्री हरि की ऊँगली में मरहम लगाया था।

रानी कर्मवती ने हुमायूँ को राखी
भेज शत्रुओं से अपने राज्य को
बचाया था।

राखी की लाज राखी वीर हुमायूँ
भारी सेना भेज कर्मवती को
बचाया था।

 प्रेम उल्लास सौहार्द का पुनीत
पर्व भाई बहन का प्यार दर्शाता है।
बहना का रक्षा का लेके संकल्प
भाई, अपने जीवन को धन्य बनाता है।
       
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।


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