उदय हुआ जब सूर्य क्रांति का

उदय हुआ जब सूर्य क्रांति का,
कितनों ने भृकुटि तानी थी.....
वो किरणें छितरी उत्साह की,
जो अब तक अंजानी थीं।।

कोई चला अहिंसा पथ पर,
कुछ ने क्रांति का दामन थामा.....
राहें तो थीं भिन्न भिन्न पर,
आज़ादी तो लानी थी।।

पथ कंटकों से भरा हुआ था,
पर स्वप्न अभी तक दूर खड़ा था....
बारातें तो असंख्य निकलीं थीं,
पर स्वतंत्रता ब्याहनी थी।।

डोली ले कहार चल दिए,
कठिन सफर पर मुस्कुरा चल दिए....
पाँवों में काँटे चुभे थे उनके,
देनी जिन्हें क़ुर्बानी थी।।

बहुतों के सिर कलम हुए,
आज़ादी नयनों में लिए हुए......
मौत गले लगायी उन्होंने,
सरफ़रोशी जिनकी निशानी थी।।

अज़ाब बड़े वो वीर लड़े थे,
हँसकर वो फाँसी चढ़े थे......
जुदा हुए जब भारत माँ से,
लहू में उनके रवानी थी।।

जाते-जाते हमें दे गए,
वे आज़ादी उपहार में....
अमर हो गए मरकर भी वो,
इस सारे संसार में....

ऋणी हुए हम जन्म-जन्म तक,
भारत के उन वीरों के....
युगों-युगों तक याद रहे,
ऐसी उनकी कहानी थी।

उदय हुआ जब सूर्य क्रांति का ,
कितनों ने भृकुटि तानी थी.....

रचयिता
पूजा सचान,
(सहायक अध्यापक),
English Medium 
Primary School Maseni,
Block-Barhpur,
District-FARRUKHABAD.

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