श्वाँस-श्वाँस चलना है जीवन

मृत्यु अटल छलना है जीवन,
श्वाँस-श्वाँस चलना है जीवन,
श्वाँसों के ही रुकने भर से
बदल गया व्यापार जगत का,
क्षण भर पहले जीवित मानव
किस्सा भर रह गया विगत का!
इतिहासों के अवशेषों पर
नये स्वप्न पलना है जीवन!
श्वाँस-श्वाँस चलना है जीवन..!!
नेत्र सजल हैं, अश्रु प्रबल हैं,
रुद्ध कण्ठ है, विह्वल है मन,
राष्ट्रपुरुष के चिर वियोग में
देश सकल करता है क्रन्दन,
सौंप धरोहर भावी कल को
राह नयी गढ़ना है जीवन!
श्वाँस-श्वाँस चलना है जीवन!!

रचयिता
डॉ0 श्वेता सिंह गौर
सहायक शिक्षिका 
कन्या जूनियर हाई स्कूल बावन,
हरदोई।

Comments

Post a Comment

Total Pageviews