240/2024, बाल कहानी -26 दिसम्बर


कहानी बाल- सोच
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रिंकू की बेटी राशि कक्षा आठ में पढ़ती थी। एक दिन स्कूल में स्वास्थ्य प्रतियोगिता सप्ताह चल रहा था, जिसमें एक दिन स्कूल में लेखन प्रतियोगिता थी। कक्षा अध्यापिका ने सभी को एक टॉपिक दिया, "आप क्या बनना चाहते हो?" सभी बच्चों ने लेखन कार्य प्रारम्भ किया और समय पर अध्यापिका को जमा भी कर दिया। जैसे ही कक्षा अध्यापिका ने बच्चों की कॉपियाँ जाँची तो वह एक कॉपी देखकर दंग रह गयी। उसने देखा कि जो टॉपिक मैंने दिया है, उसमें राशि नाम की लड़की ने लिखा कि अगर मुझे अवसर मिले तो मैं मोबाइल का नया एप बनाना चाहूँगी। अध्यापिका ने उस बच्ची को अपने पास बुलाया और उसके लेखन की बहुत प्रशंसा भी की। उसके बाद अध्यापिका ने राशि से पूछा, "बेटा! तुमने लिखा है कि अगर तुम्हें अवसर मिले तो तुम फोन का नया एप बनाना चाहोगी।" राशि ने उत्तर दिया, "जी, मैंम! मुझे अगर अवसर मिला तो मैं फोन का नया एप ही बनाना चाहूँगी।।" तब अध्यापिका ने पूछा, "ऐसा क्यों? अगर तुम चाहती तो टीचर, डॉक्टर, वैज्ञानिक कुछ भी बनना लिख सकती थी।" राशि ने उत्तर दिया, "नहीं मैंम! अगर मैं टीचर बनना चाहती तो सिर्फ पढ़ाई में होशियार होती, अगर डॉक्टर बनना चाहती तो सिर्फ डॉक्टर के काम ही सीख पाती।" टीचर ने कहा, "बेटा! फिर भी फोन क्यों?" तब राशि ने कहा, "मैंम! अगर मैं मोबाइल का नया एप बना पायी, तो प्रत्येक क्षेत्र में होशियार होकर सभी की जानकारी रख सकती हूँ। साथ ही आजकल किसी के पास कोई किताब हो न हो, पैसे हो या न हो, अगर फोन है तो उसके पास सब कुछ है।" राशि ने पुनः कहा, "मैंम! एक बात और जो सबसे महत्वपूर्ण है कि फोन को सब लोग अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हैं और सारा समय अपने साथ रखते हैं, इसलिए मेरा मानना है कि फोन एप बनाकर मैं सबके करीब रहूँगी। लोग मुझे अपने हाथ में रखेंगे। इसलिए मैंने सोचा कि अगर मुझे अवसर मिलेगा तो मैं फोन एप बनाना चाहूँगी।" अध्यापिका उसके उत्तर को सुनकर हैरान तो हुई लेकिन सच शायद यही है। आज लोग अपनी जान से ज्यादा फोन को महत्व देते हैं।

#संस्कार_सन्देश -
हमें अपनी रुचि के अनुसार ही उस दिशा में आगे बढ़ने का प्रयत्न करना चाहिए। 

कहानीकार-
#अंजनी_अग्रवाल (स०अ०) 
उच्च प्राथमिक विद्यालय, सेमरुआ,
कानपुर नगर (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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