237/2024, बाल कहानी- 21 दिसम्बर
बाल कहानी - भूरे का पहिया
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भूरेलाल चौबेपुर गाँव में रहता था। भूरेलाल को टायर के सहारे नहरें और नदियाँ पार करने का बहुत शौक था। जब भी तेज बारिश होती, नहरों में अत्यधिक पानी हो जाता था। भूरेलाल सभी गाँव वालों को टायर के सहारे एक छोर से दूसरे छोर तक पार करके दिखाता था।
कई बार गाँव के बुजुर्ग भूरेलाल को टोकते थे, "लला! नदी बहुत चढ़ी हुई है। टायर के सहारे ना जाओ, कहीं बीच भँवर में फँस गया तो निकल न पाओगे।" भूरेलाल ने जवाब दिया, "दादा! भूरे का कमाल पूरा गाँव जानता है। मुझे कुछ नहीं होगा।"
एक दिन नहर में एक कार गिर पड़ी। कार के ड्राइवर ने कूदकर अपनी जान बचा ली। सभी गाँव वालों ने मिलकर जेसीबी मशीन वाले को बुलवाया। जैसे यह बात भूरेलाल को पता चली, वह जल्दी से उठा और भागकर टायर लेकर नहर में घुस गया, ताकि कार को देख सके।
उसी वक्त नहर में ढ़ेर सारा कचरा और गन्दगी तैर रही थी। भूरेलाल उसमें फँस कर डूबने लगा। उसके हाथ से टायर छूट गया। तभी अचानक पास खड़े लोगों ने देखा और चिल्लाने लगे, "अरे! भूरे को बचाओ!"
उसी वक्त जेसीबी मशीन आ चुकी थी। जेसीबी चालक ने नहर में से भूरेलाल को निकाला। मशीन में बैठा भूरेलाल सोच रहा था आज तो मेरा टायर फेल हो गया। अगर जेसीबी नहीं आती, तो मेरी जान चली जाती।
भूरेलाल के अति आत्मविश्वास को ठेस पहुँची थी। मशीन ने भूरेलाल को सड़क पर उतार दिया। भूरेलाल पीछे खड़ी हुई जेसीबी को देखकर सोच रहा था कि, "इस संसार में ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जो अपने वास्तविक काम के लिए जानी जाती हैं। टायर का काम रोड पर चलने के लिए है। सड़क पर ही चलें, तो अच्छा है।" मेरा अति विश्वास मेरे लिए घातक हो गया। उसने जेसीबी चालक को 'धन्यवाद' कहा, जिसने उसकी जान बचाई थी। भूरेलाल अपने माता-पिता के साथ अपने घर के लिए चल दिया क्योंकि उसे एक नया जीवन मिला था।
#संस्कार_सन्देश -
हमें अति आत्मविश्वास से बचना चाहिए, इससे हमारी जान भी जा सकती है।
कहानीकार-
#शालिनी (स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय- रजवाना
विकास क्षेत्र- सुल्तानगंज
जनपद- मैनपुरी (उ०प्र०)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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