231/2024, बाल कहानी - 14 दिसम्बर
बाल कहानी - चिन्ता
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जगजीवन नामक सेठ बहुत दयालु प्रवृत्ति के इन्सान थे। वे सभी जरूरतमन्द लोगों की मदद करते थे। उनके दरवाजे पर जो भी माँगने आता था, वह खाली हाथ नहीं जाता था।
एक दिन वे बीमार हो गये और सबसे भीतर वाले कमरे में जाकर लेट गये। उनकी पत्नी सो गयी थी। उसी समय कोई व्यक्ति उनके दरवाजे पर दस्तक देकर चला गया और जगजीवन सेठ नहीं जान पाये। उनके दरवाजे से खाली लौटने के बाद उस व्यक्ति ने आस-पास के घरों में सेठ की बुराई की।
जब सेठ जी की तबियत ठीक हुई, तब लोगों ने उन्हें बताया कि, "एक व्यक्ति आपकी बुराई कर रहा था।" अगले दिन जब वे बाहर जा रहे थे, तभी एक आदमी बोला-, "सेठ जी! एक आदमी कल आपकी बुराई कर रहा था कि सेठ बहुत कंजूस है।"
जगजीवन सेठ का मन विचलित हो उठा और सोचने लगे कि-, "मैं तो सबको दान देता हूँ। सब मुझसे खुश रहते हैं, फिर भी मेरी बुराई हो रही है।" ऐसा सोचते हुए वह मन्दिर चले गये और शाम को मन्दिर जाकर पूजा की और वहीं बैठ गये।
पुजारी ने पूँछा कि-,"सेठ जी! क्या हुआ?" सेठ जी ने सब बताया। पुजारी बोले-, "हम सारे संसार को खुश नहीं रख सकते हैं, लोग नहीं जानते हैं कि हम किस परेशानी में हैं, उनको फल चाहिए। आप दु:खी न हों सेठ जी! अच्छे कार्य करते रहें.... ईश्वर सब देखता है।"
सेठ जी अब खुश थे। पुजारी बोले-, "आइये सेठ जी! भगवान की आरती का समय हो गया है।" कहकर दोनों लोग प्रभु की आरती करने लगे-, "सु:ख के सब साथी दु:ख में न कोय मेरे राम मेरे राम....।"
#संस्कार_सन्देश -
"हम संसार को खुश नहीं रख सकते हैं, सिर्फ अच्छे कार्य कर सकते हैं।"
कहानीकार-
#शालिनी (स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय- रजवाना
विकास क्षेत्र- सुल्तानगंज
जनपद- मैनपुरी (उ०प्र०)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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