अटल बिहारी बाजपेयी

विधा - ताटण्क छन्द


सन उन्नीस सौ चौबीस में था,

           जन्म ग्वालियर में पाया I

साधारण परिवार मिला था,

        शिक्षक पितु की थी छाया Il

बचपन से ही प्रतिभाशाली,

              सतगामी  आचारी  थे I

बँधे नहीं परिणय बन्धन में,

            आजीवन  ब्रह्मचारी  थे ll


जैसा नाम आपने पाया,

               वैसा काम दिखाया है I

रहा न कथनी करनी अन्तर,

            अटल सही कहलाया है ll

प्रखर प्रवक्ता कवि उर ज्ञानी,

              राजनीति  में  ध्रुवतारा I

जाति - धर्म कुछ भेद न माना,

               माना लोहा  जग सारा ll


कविता गीत गजल कलियाँ हैं,

             पद्य चमन की अलबेली ।

भ्रमर आप साहित्य कुञ्ज के,

            रस मकरन्द गजब चेली ।।

'माधव' जन्मदिवस अवसर पर,

               पुष्प समर्पित करता है I

अटल बिहारी फिर से जन्मो,

             वतन  आह  ये भरता है 


रचयिता

कवि सन्तोष कुमार 'माधव',

सहायक अध्यापक,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय सुरहा,

विकास खण्ड-कबरई,

जनपद-महोबा।



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