244/2024, बाल कहानी- 31 दिसम्बर
बाल कहानी- संकल्प से भरा नववर्ष
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कोहरे का सीना चीर के आज सूर्यदेव मुस्करा रहे थे। चारों ओर बह रही ठण्डी हवा के झोंके भी किसी का हौसला पस्त नहीं कर पा रहे थे।
कारण, आज ये शुभ संकल्पों से भरी एक प्यारी सुबह थी, जिसमें मधुवनपुर गाँव का हर निवासी खुशी-खुशी 'नव वर्ष शुभ हो' कहता हुआ तेजी से उस पण्डाल की ओर बढ़ा जा रहा था, जहाँ कुछ देर बाद ही जिलाधिकारी महोदय आने वाले हैं। आज वह आर० आर० आर० बैंक के बच्चों अबीरा, माही, जोजफ, ऐली व सुकेश को पुरस्कृत करेंगे।
"दादू! तनिक धीरे चलिये। हवा बहुत ठण्डी है।" माही ने दादाजी से ठिठोली की।
"ये ठण्डी हवा हमारे पैरों की तेजी न कम कर सकेगी बिटिया!" दादाजी भी कहाँ कम थी।
ऊपर पण्डाल में पूरा गाँव जमा था।जिलाधिकारी महोदय ने आकर अबीरा, माही, जोजफ व सुकेश को 'बाल स्वच्छता प्रहरी' एवार्ड दिया तो पूरा पण्डाल तालियों से गूँज उठा।
मुखिया जी व वहाँ उपस्थित हर व्यक्ति को गुजरा बीता साल याद आ गया, जब इन बच्चों ने घर-घर जाकर सबको नववर्ष का संकल्प दिलाया था। दादाजी की आँखों में वह बीता साल घूम गया।
मधुवनपुर गाँव पहाड़ों की खूबसूरती के बीच बसा है। प्रकृति का अलौकिक सौन्दर्य इस गाँव के चप्पे-चप्पे पर विराजमान है। गाँव के निवासियों ने हमेशा ही इसकी स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा किन्तु पिछले वर्षों से इस गाँव की अप्रतिम सुन्दरता को निहारने आने वाले पयर्टन खूबसूरती तो निहारते किन्तु गाँव के बाहर लगा होता गन्दगी का ढेर? अनगिनत चिप्स व खाने के पैकेट्स, प्लास्टिक बैग व पेपरों का ढेर जो इस गाँव के लोगों के लिए सरदर्द बनते जा रहे थे। ये कचरा हर आने वाले समय में बढ़ता ही जा रहा था।
इस बढ़ते कचरे की समस्या को देखकर ही अबीरा, ऐली,जोजफ और सुकेश ने मुखिया जी की सहायता से आर० आर० आर० बैंक बनाया, जिसमें वह विद्यालय के बाद आकर 'बाल चौपाल' की सहायता से कचरा कम से कम करना, कचरे का पुनः उपयोग करना व उसका पुनचक्रण करना जैसी उपयोगी बातें समझाते।
गाँव के बाहर बच्चों ने अपने हाथों से बनाये होर्डिंग्स लगाये थे, जिसमें उन्होंने लिखा था कि, "कचरे की रीसाइक्लिंग प्रक्रिया इतनी आसान भी नहीं है, जितना लोग समझते हैं।इस प्रक्रिया में काम करने वाले श्रमिकों का जीवन जोखिम भरा होता है। विभिन्न रसायनों के सम्पर्क में आकर वह बीमार पड़ जाते हैं और रीसाइक्लिंग की प्रक्रिया हर शहर में उपलब्ध भी नहीं है।"
आने वाले पयर्टकों को ये बच्चे अपने हाथ के बने पम्पलेट बाँटते, जिसमें लिखा होता था-
आप कचरा कम से कम करें।खाने-पीने की चीजें आवश्यकतानुसार ही लें। डिब्बे व कन्टेनर में पौधे लगाकर अपने साथ ले जायें।
पयर्टकों ने इन बाल स्वच्छता सैनानियों की बात मानी और अब मधुवनपुर गाँव पहले जैसा हो गया।
पूरा मधुवनपुर बोल उठा- "नववर्ष शुभ हो।"
#संस्कार_सन्देश -
नववर्ष में जो संकल्प लें, उसे अवश्य पूरा करने का प्रयास करें।
कहानीकार-
#प्रवीणा_दीक्षित (स०अ०)
के० जी० बी० वी० नगर क्षेत्र
कासगंज (उ०प्र०)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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