229/2024, बाल कहानी- 12 दिसम्बर


बाल कहानी- आजाद पंक्षी
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रामू एक गरीब लकड़हारा था। वह दिन-भर कड़ी मेहनत करता, तब जाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर पाता था। उसके परिवार में उसके माता-पिता उसकी पत्नी और तीन बच्चे थे।
रामू अशिक्षित था लेकिन पढ़ाई के महत्व को भली-भाँति समझता था, इसलिए वह चाहता था कि उसके बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़ें। वह अपने बच्चों को हमेशा समझाता था कि, "शिक्षा बहुत जरूरी होती है। बच्चों! तुमको पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।"
रामू के दोनों बच्चे सोनू और मोनू का मन पढ़ने में बिल्कुल भी नहीं लगता था, पर बेटी राधा पढ़ने में बहुत होशियार थी। वह नियमित विद्यालय जाती और मन लगाकर पढ़ाई करती।
वहीं रामू के जाने पर उसके दोनों बेटे जंगल निकल जाते। वहाँ वे पक्षियों को पकड़ते और उन्हें पिंजरे में कैद करके रख लेते थे और फिर उन्हें बाजार में बेच देते थे।
घर पर सभी लोग उन्हें समझाते कि, "पंछियों को पकड़ना गलत है। उन्हें पिंजरे में बन्द नहीं करना चाहिए। खुले आकाश में वे अच्छे लगते हैं।" रामू के समझाने पर भी वे नहीं मान रहे थे।
एक दिन की बात है, जब सोनू और मोनू जंगल गये तो वह रास्ता भटक गये। शाम होने को आ गयी, लेकिन जंगल से लौटकर नहीं आये। घर पर सभी बहुत परेशान हो गये।
उधर जंगल में सोनू और मोनू की हालत खराब हो गयी। वे दोनों डर के मारे रोने लगे। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वे अब क्या करें? 
धीरे-धीरे रात होती जा रही थी। उनका डर और बढ़ता जा रहा था। तभी रामू उन्हें खोजता हुआ उनके पास पहुँच गया
सोनू-मोनू बहुत भयभीत थे। वह अपने पिताजी को देखकर रोने लगे।
जब घर वापस आये तो उन्होंने देखा कि सभी की आँखों में आँसू हैं। मम्मी, दादा-दादी और बहन सभी उनके लिए बहुत परेशान हो रहे थे।
रामू ने उन्हें धीरे से समझाया, "बेटा! देखो, हमसे बिछड़कर तुम्हारी और हम लोगों की हालत क्या हो गई है? यही हाल उन पंछियों का भी होता है, जिन्हें तुम कैद करके बाजार में बेंच देते हो।"
सोनू और मोनू समझ गये थे। उन्होंने सबसे पहले पिंजरे में बन्द पंछियों को आजाद कर दिया और अपने माता-पिता से वादा किया कि, "अब कभी भी जंगल नहीं जायेंगे और न ही कभी पक्षियों को पकड़ेंगे।" उन्हें समझ आ गया था कि पक्षियों का घर पिंजरा नहीं, खुला आकाश है। वह भी अपने परिवार से दूर होने पर बहुत दु:खी होते हैं। साथ ही अब वे दोनों मन लगाकर पढ़ाई भी करेंगे।

#संस्कार_सन्देश -
जिस प्रकार हमें परिवार से बिछड़ कर कष्ट होता है, ठीक उसी प्रकार पक्षियों को भी परिवार से बिछड़कर कष्ट होता होगा। उन्हें पिंजरे में कैद नहीं करना चाहिए।

कहानीकार-
#मृदुला_वर्मा (स०अ०)
प्रा० वि० अमरौधा प्रथम
अमरौधा (कानपुर देहात)

कहानी वाचन- 
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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