235/2024, बाल कहानी -18 दिसम्बर
बाल कहानी - जिद्द
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रश्मि नाम की लड़की रहीमपुर नमक गाँव में रहती थी। उसके परिवार में उसकी दादी-दादाजी, मम्मी-पापा और एक छोटा भाई थे। सभी रश्मि को बहुत प्यार करते थे, लेकिन रश्मि बहुत जिद्दी लड़की थी। एक बार जो ठान लेती थी, वह लेकर ही रहती थी।
एक दिन उसकी माँ बोली, "रश्मि! तुम्हारा जन्मदिन आ रहा है। इस बार तुम जन्म-दिन में क्या लोगी?" रश्मि बोली, "माँ! मुझे इस बार जन्म-दिन में एक लाल रंग की साइकिल चाहिए, जिसमें घन्टी लगी हो। जब वह चले तो उसमें संगीत बजता हो।"
माँ बोलीं, "बेटा! इस बार जन्म-दिन में कोई छोटा-सा उपहार ले लो, क्योंकि इस बार खेती अच्छी नहीं हुई है। तुम्हारे दादाजी की भी तबीयत ठीक नहीं है।" लेकिन रश्मि अपनी जिद पर अड़ी रही और बोली, "मुझे तो लाल रंग की रोशनी करती हुई और संगीत बजने वाली साइकिल ही चाहिए।" जब उसका जन्म-दिन आने वाला था तो उसने अपनी जिद्द में खाना-पीना सब छोड़ दिया। बोली, "जब तक मुझे साइकिल नहीं मिलेगी, तब-तक मैं कुछ नहीं खाऊँगी।" रश्मि के पिता रश्मि को इस तरह दु:खी नहीं देख पाये और उन्होंने अपनी साइकिल बेचकर रश्मि के लिए उसकी पसन्द की साइकिल लाकर दे दी। रश्मि बहुत खुश हुई। वह सबको 'बहुत-बहुत धन्यवाद' कहने लगी।
एक दिन जब रात के दस बज गये और बहुत तेज बारिश हो रही थी। रश्मि के पापा घर नहीं आये तो सबको बहुत चिन्ता हुई। रात के दो बज गये तो रश्मि को भी पापा की चिन्ता होने लगी। वह अचानक देखती है कि पानी में भींगते हुए उसके पापा चले आ रहे थे। तब रश्मि के पापा ने बताया, "आज पानी ज्यादा बरसने के कारण उनको कोई साधन ही नहीं मिला, तो वह पैदल ही घर आ रहे हैं।" दूसरे दिन उसके पापा बहुत बीमार पड़ गये। तब जाकर रश्मि को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने भगवान जी से अपनी गलती के लिए क्षमा माँगी। अपनी साइकिल के बदले पापा की साइकिल लाने के लिए मम्मी से कहा।
#संस्कार_सन्देश -
सच! बच्चों को कभी भी ऐसी जिद नहीं करनी चाहिए, जिसे माता-पिता पूरा करने में असमर्थ हों।
कहानीकार-
#अंजनी_अग्रवाल (स०अ०)
उच्च प्राथमिक विद्यालय सेमरुआ,
सरसौल (कानपुर नगर)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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