242/2024, बाल कहानी - 28 दिसम्बर


बाल कहानी - अनुशासन
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अरुणिमा चंचल स्वभाव की लड़की थी। वह हमेशा खेलकूद में और अपनी सहेलियों के साथ मौज-मस्ती में ही लगी रहती। अरुणिमा की माँ जब उसे पढ़ाई करने के लिए कहती, तब वह 'बाद में पढ़ लूँगी' ऐसा कहकर टाल देती। 
अरुणिमा कक्षा आठ की छात्रा थी।
चंचल स्वभाव होने के कारण वह अपनी कक्षा में भी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं देती थी। उसे खेलना, घूमना और अपनी सहेलियों के साथ बातें करना ही अच्छा लगता था।
समय बीतता गया। वार्षिक परीक्षा का समय आ गया। परीक्षा के समय वह जब पढ़ाई करती तो उसे विषय सही से समझ में नहीं आते क्योंकि उसने उन विषयों को कक्षा में समझा ही नहीं था। 
जब परीक्षा का परिणाम आया, तो उसके सभी साथी अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुए और वह औसत अंकों से ही पास हो पायी।
उसके सभी दोस्त अच्छे अंक पाकर खुश थे। परन्तु जब कोई अरुणिमा से उसके परीक्षा परिणाम के बारे में पूछता, तब वह शर्मिन्दा हो जाती। 
तब अरुणिमा ने मन ही मन संकल्प किया, कि, "वह अगली कक्षा में अब मन लगाकर पढ़ाई करेगी और अपनी पूरी मेहनत से कक्षा में प्रथम स्थान पाकर रहेगी।" 
अब अरुणिमा अपनी कक्षा में शिक्षकों द्वारा पढ़ाए गए विषय को ध्यान से सुनती व समझती। वह घर पर भी पूरी मेहनत से पढ़ाई करने लगी।
अरुणिमा की मेहनत रंग ला रही थी।‌ अब वह अपनी कक्षा में एक अनुशासित एवं कुशल विद्यार्थी के रूप में पहचानी जाने लगी। 
एक बार फिर वार्षिक परीक्षा का समय आया और अरुणिमा की पूरे साल की मेहनत रंग लायी। इस बार जब अरुणिमा का कक्षा नौवीं का परीक्षा परिणाम आया तो उसने कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
अब उसने यह भी निश्चय किया कि वह सदैव अनुशासन और मेहनत से अपने भविष्य में अपना एवं अपने माता-पिता का नाम रोशन करेगी।

#संस्कार_सन्देश-
हमें सदैव अनुशासन में रहना चाहिए और अपने समय का सदुपयोग करना चाहिए। 

कहानीकार -
#रचना_तिवारी (इं०प्र०अ०)
प्रा० वि० ढिमरपुरा (पुनावली कलां)
ब्लाॅक- बबीना, झाँसी (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-बहराइच (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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