230/2024, बाल कहानी -13 दिसम्बर


बाल कहानी - जिज्ञासा का महत्व
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विद्यालय में राघव और अनुज नियमित पढ़ने आते थे। अन्य बच्चों की तरह यह दोनों भी बड़े ही होनहार और जिज्ञासु थे। स्कूल में राघव और अनुज शान्त रहते थे, न ही खेल में पूरे तरीके से भाग लेते थे 
और पढ़ाई में जितना पढ़ाया जाता उतना पढ़ लेते थे, जबकि अन्य बच्चे जरूरत के अनुसार जो बात मन में होती, वह पूछ लेते और समझ लेते थे। 
अब राघव और अनुज पढ़ाई में पिछड़ने लगे। जब राघव और अनुज के पिछड़ने का कारण जाना गया तो शिक्षकों को महसूस हुआ कि राघव और अनुज का शर्मीला और शान्त स्वभाव है, जो कि बुरा तो नहीं है लेकिन वह दोनों अपने मन की बातें किसी से कह न पाने के कारण उनकी जिज्ञासा दूर नहीं हो पा रही है। 
स्कूल के प्रधानाचार्य एवं स्कूल के शिक्षकों ने मिलकर अपने-अपने अनुसार बच्चों को जिज्ञासा का महत्व और लाभ समझाया और साथ ही बताया कि, "दुनियाँ में हर चीज़ सीखी जा सकती है। दुनिया में कुछ भी असम्भव नहीं है। हमारे मन में अगर कोई प्रश्न है तो उसे मन में नहीं रखना चाहिए। उसे अपने आस-पास मौजूद लोगों से पूछ लेना चाहिए, जिससे हमारी जिज्ञासा तो शान्त होती ही है, साथ ही हमें सीखने को मिलता है और हमारे शब्दकोश में वृद्धि होती है।" 
अब राघव और अनुज समझने लगे थे और अपने सहपाठियों के साथ खेलों में रुचि लेने के साथ-साथ अपने मन में आये सभी प्रश्नों के उत्तर भी समझने लगे थे और इसका प्रत्यक्ष प्रभाव इनकी जीवन-शैली पर दिखाई देने लगा था। 

संस्कार सन्देश - 
हमारे जीवन में जिज्ञासा का बड़ा ही महत्व है। यह सीखने में सहायक होती है। साथ-साथ हमारी जीवन-शैली में भी सुधार करती है। 

कहानीकार -
#धर्मेंद्र_शर्मा (स०अ०)
कन्या० प्रा० वि० टोडी-फतेहपुर
ब्लॉक- गुरसरांय, झाँसी (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
दैनिक_नैतिक_प्रभात

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