238/2024, बाल कहानी - 23 दिसम्बर
बाल कहानी - घमण्डी हाथी
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बहुत पुरानी बात है। सुन्दर वन में बहुत से जंगली जानवर एक साथ रहते थे। सभी का एक-दूसरे में बहुत प्रेम था। सभी एक-दूसरे के सुख-दुःख में सदैव साथ रहते थे।
एक दिन किसी दूसरे जंगल से भटकता हुआ एक घमण्डी हाथी सुन्दर वन में आया। उसने सोचा कि इस जंगल के जानवर मुझे नहीं जानते हैं। क्यों न इस जंगल में अन्य सभी जानवरों पर अपना रौब जमाऊँ, ताकि सभी मुझे भी जानने लगें और मुझसे डरने लगें। वह सुबह सोकर उठा तो देखा कि एक साँप उसके सामने बैठा है। उसने अपनी सूँढ़ से जोर से हवा दे मारी। हवा लगने पर साँप थोड़ी दूर जाकर गिरा। फिर वह धीरे-धीरे हाथी के पास आया और बोला-, "भाई हाथी! मैंने तो तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ा, फिर भी तुम ने मुझे हवा देकर दूर क्यों फेंक दिया?" हाथी बोला-, "मुझे ऐसा करने में मजा आता है।" उसने दुबारा सूँढ़ से हवा दे दी। साँप फिर दूर जा गिरा। हाथी का ऐसा व्यवहार देखकर साँप क्रोधित हो गया और बोला-, "मैं तुमसे अवश्य बदला लूँगा।" यह कहकर साँप हाथी के पास से चला गया। वह आगे जा ही रहा था कि उसको अपने मित्र चीटियों का झुण्ड आता हुआ दिखाई दिया। साँप ने अपने मित्र चींटियों से अपनी आप-बीती बतायी और कहा कि-, "जंगल में कोई नया हाथी आया है, जो मुझे परेशान कर रहा है। मैं चाहता हूँ कि उससे बदला लेने में तुम लोग मेरी मदद करो।" चीटियों ने कहा-, "चलो! ठीक है। हम तुम्हारे साथ चलते हैं।" चीटियों के साथ साँप हाथी के पास पहुँचा और हाथी से बोला-, "ए हाथी सुन! अब तुम्हारा काम खत्म! इस जंगल से जाने का तुम्हारा समय आ चुका है।" हाथी हँसने लगा और बोला कि-, "तुम मुझे इस जंगल से भगाओगे।आज तो इस जंगल में मेरी यह पहली सुबह थी। अभी तो मैंने सिर्फ तुम्हें ही परेशान किया है। ऐसे ही मैं सबको परेशान करूँगा।" इतने में चीटियों का झुण्ड धीरे-धीरे हाथी के शरीर पर चढ़ने लगा। कुछ चीटियों ने हाथी की सूँढ़ में काटना शुरू कर दिया। हाथी को खुजली होने लगी और हाथी इधर-उधर भागने लगा और उसने साँप से कहा कि-, "भाई मेरी मदद करो! अब मैं ऐसी गलती नहीं करुँगा।" साँप ने कहा-, "रुक जाओ दोस्तों! छोड़ दो इसे।" साँप की बात सुनकर सारी चीटियाँ हाथी के शरीर के ऊपर से नीचे उतर आयीं और इस तरह से हाथी की जान बच गयी। उसने साँप से माफी माँगी और फिर कभी ऐसा न करने का वादा किया। इस तरह से साँप और हाथी में दोस्ती हो गयी और दोनों जंगल में साथ-साथ रहने लगे।
संस्कार सन्देश-
यदि आप शक्तिशाली हैं तो हर किसी पर अपना हुक्म न चलायें। समय बदलते देर नहीं लगती है।
कहानीकार-
#दीपक_कुमार_यादव (स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह,
विकास खण्ड- महसी (बहराइच)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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