महिला सशक्तिकरण विशेषांक- 305
*👩👩👧👧महिला सशक्तीकरण विशेषांक -305*
*मिशन शिक्षण संवाद परिवार की बहनों की संघर्ष और सफ़लता की कहानी*
(दिनाँक-18/12/2024)
नाम:- मीरा रविकुल
पद:- प्र० अ०
विद्यालय:-प्रा०वि०कतरावल_ 1 वि० क्षे०बड़ोखर खुर्द जनपद बांदा
*सफलता एवं संघर्ष की कहानी :-*👇
★प्रथम नियुक्ति:-04/09/2002
★वर्तमान नियुक्ति:- 7/01/2008
★प्रारम्भिक परिचय- शैक्षिक योग्यता, एम. एस.सी., डी.पी.एड.,मार्शल आर्ट (ब्लैक बेल्ट)। 2002 से 2003 तक मार्शल आर्ट सिखाने का कार्य किया।
4/09/2002 से 7/01/2008 तक स. अ. के पद पर कार्य किया।
07/01/2008 से अद्यतन प्र.अ. के पद पर कार्य कर रहे हैं।
विशेष रुचि पढ़ने, आर्ट एंड क्रॉफ्ट एवम योग में है।
★विद्यालय की समस्या:-
1-विद्यालय प्रांगण पर अतिक्रमण।
2-विद्यालय में सामूहिक कूड़ा घर/ गंदगी।
3-भैंसो का तबेला, विद्यालय के अंदर से ही सामूहिक रास्ता।
4-न्यून उपस्थिति।
5-कमजोर शैक्षिक स्तर।
6-सामुदायिक असहयोग।
7-विद्यालय के अंदर लोगों का ताश व अनैतिक कार्य
★संघर्ष एवं सफलता की कहानी:-
जब मैंने पहली बार अपनी कर्मभूमि प्रा. वि. बंजारा पुरवा वि.क्षे.नरैनी जनपद बांदा में प्रथम नियुक्ति मिली तो प्रसन्नता के साथ एक जिम्मेदारी भी सौप दी गई इंचार्ज की। एम पी बोर्डर से लगा हुआ रोज कोई न कोई कह ही देता बेटा सतर्क रहें संभाल कर जाना। बच्चो के लिए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए ग्रामवासियों के सहयोग से सफल रहा। अश्रुपूर्ण विदाई से भरा स्थान्तरण 21अगस्त 2004 में प्रा.वि. कलेक्टर पुरवा बड़ोखर खुर्द में स.अ.पद में स्थानांतरण हुआ तो यहां भी प्र.अ. जी द्वारा दी गई पूरी ज़िम्मेदारी नामांकन, शैक्षिक गुणवत्ता के स्तर को बेहतर करने के लिए सभी का सराहनीय योगदान मिला। अश्रुपूर्ण विदाई के साथ पदोन्नति प्रा० वि०कतरावल-१ में प्र०अ०पद का कार्य भार ग्रहण किया। विद्यालय में देखा तो विद्यालय के चारो ओर जानवर पानी से भरे तालाब बना गड्डे में जानवर लोट रहे थे। कुछ तो विद्यालय की खिड़कियों, बरामदे , परिसर में बंधे थे। स्त्रियां व पुरुषों की नहाने के लिए अपनी बारी के लिए झगड़े हो रहे थे। विद्यालय के अंदर जर्जर विद्यालय (1948 में बना)पर गांव के अराजक तत्व बैठकर द्यूत क्रीड़ा वा ताश खेलते थे। छत पर भी धान, तिल फैलाने की होड़ और झगड़े। प्रार्थना भी कक्षा कक्ष में कराने को विवश होती थी, लेकिन प्रार्थना में ध्यान कम नहाने वाले लोग बच्चों का ध्यान खींच ही लेते थे। यह सब देखकर मन खिन्न हो गया और सोचा क्या यहां पर शिक्षण कार्य संभव है? लेकिन फिर अपने पुराने संघर्ष को जहन में रख आगे कुछ करने जज्बा व विद्यालय को बेहतर तरीके सर्वांगीण विकास को ले जाने की ललक ने कार्य प्रारंभ किया। गीता की पंक्तियां याद आईं- कर्म करो फल की इच्छा मत करो वो कर्म क्या जिस पथ पर बिखरे शूल न हो,नाविक की धैर्य परीक्षा क्या जब धाराएं प्रतिकूल न हो।"
फिर क्या था, मैंने हार नहीं मानी कठिन संघर्ष करते हुए ग्राम पंचायत ने सहायता से इंकार कर हाथ खड़े कर दिए। गांवदारी का विद्यालय का अतिक्रमण हटवाया नित नई चुनौती। अपने विभागीय अधिकारियों का सहयोग मिला पुराने विद्यालय की नीलामी (जिसमें नित घृणित कार्य) कराई गई। प्रधान जी ने मेरे हौसले को देख थोड़ा सहयोग मिला कूड़े को हटवाया गया जो कि बिल्डिंग के ऊंचाई के बराबर ही था। शौचालय निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ l तबेला हटाने में बहुत दिन लगे लेकिन सफ़लता मिली। किचेन गार्डेन बनाया। सब्जियां भले ही बच्चों को न मिली हो लेकिन पौधो को देखकर मन खुश हो जाता। दोनो ओर से कांटो की बाउंड्री बनाकर गेट लगवाएं, लेकिन जला दिए गए। मै भी हार मानने वाली नही थी लोगो से मिलकर फिर कार्य किया। आज मेरा विद्यालय सुंदर वॉल पेंटिंग से सुसज्जित चहारदीवारी, क्रियाशील किचन,, विभिन्न फलदार , फूलदार, छायादार वृक्षों के पौधे वा फुलवारी से युक्त है।
●दूसरी समस्या थी न्यून उपस्थिति एवम कमजोर शैक्षिक स्तर की। हमारे विद्यालय के समीप ही एक प्राइवेट विद्यालय संचालित था, अधिकांश छात्र नामांकित सरकारी विद्यालय में थे और उपस्थित प्राइवेट विद्यालय में थे, जिसके कारण विद्यालय की उपस्थिति 20 से 30 प्रतिशत ही रहती थी मैंने अभिभावक संपर्क करके उनसे बात की, विद्यालय में व्यवस्थित प्रार्थना सभा, गतिविधि आधारित शिक्षण, खेलकूद,नियमित उपस्थिति वाले छात्रों को पुरस्कृत करना, पी.टी., योग, मार्शल आर्ट, आर्ट एंड क्रॉफ्ट पपेट आदि से कार्य, सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी कराना वार्षिकोत्सव, सांस्कृतिक कार्यक्रम, कक्षा 5 के छात्रों का सत्र समाप्ति पर विदाई समारोह आदि विद्यालय में कराना प्रारंभ किया। फलस्वरूप धीरे-धीरे छात्र उपस्थिति बढ़ने लगी और शैक्षिक स्तर भी सुधरने लगा।आज हमारा विद्यालय निपुण घोषित होने के लिए तैयार है, हमारे विद्यालय की उपस्थिति 70 से 80 प्रतिशत रहती है और सभी प्राइवेट विद्यालय बंद हो चुके है। विद्यालय विकास हेतु किए गए संघर्षों और प्रयासों को देखकर अब सामुदायिक सहयोग भी सराहनीय स्तर का प्राप्त होता है।
★विद्यालय की उपलब्धि:-
ब्लाक /जिला स्तरीय बच्चो का सम्मान। अधिकारियों द्वारा बच्चों को प्रोत्साहन व सम्मान। खेलकूद प्रतियोगिता में प्रतिभागिता व सम्मान। प्रकृति मित्र सम्मान। वाल पेंटिंग/बाला पेंटिग स्वयं बनाकर विद्यालय का आकर्षक बनाने हेतु शिक्षक सम्मान। शैक्षिक गुणवत्ता स्तर बढ़ने से कतरावल गांव को पहचान मिली।
★स्वयं की उपलब्धि—
●जनपदस्तरीय प्रतियोगिता में स्थान प्राप्त।
●राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में सम्मान
●जनपद स्तरीय प्रतियोगिता मिट्टी कला में डायट स्तर पर प्रथम स्थान सम्मान प्राप्त, आर्ट एंड क्रॉफ्ट में स्थान प्रशस्ति पत्र प्राप्त।
●जनपद स्तरीय दो बार मिशन शक्ति सम्मान पत्र।
●ब्लाक स्तरीय उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान।
•पोलियों उन्मूलन में सहयोग हेतु सम्मान, 87.5 प्रतिशत मतदान हेतु जिलाधिकारी द्वारा सम्मान।
• मिशन द्वारा समय समय पर सम्मान
• बच्चों के द्वारा खेल कूद विभिन्न गतिविधियों प्रतियोगिताओं में स्थान सम्मान प्राप्त।
•प्रेरक बालक सम्मान प्राप्त।
•बच्चों के लिए शैक्षिक सामग्री टीएलएम का निर्माण कार्य कर बच्चों। बच्चों को स्कूल स्तर व यू ट्यूब के माध्यम से भी जागरूक करने का प्रयास।
• लेखन क्षेत्र में "विद्यालय में एक दिन", "क्रान्ति पथ के राही", "यात्री हुए हम",किताब हेतु व विद्यालय को आनंद घर बनाने हेतु सम्मानित अतिथियों द्वारा गिजूभाई बधेका सम्मान, शब्द साधक सम्मान, राष्ट्र साधक सम्मान, यात्री परिमल सम्मान, आदि प्रसस्ति पत्र मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।
•कविता लेखन "फूले है पलाश" में कविता *सखियों संग होली* के लिए प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
• नवाचार हेतु राज्य स्तरीय व्यवसायिक शिक्षा में सम्मानित संयुक्त शिक्षा निदेशक द्वारा प्रशस्ति पत्र व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
• नवाचार हेतु श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदया द्वारा प्रशस्ति पत्र
★मिशन शिक्षण संवाद के लिये संदेश:-
मिशन शिक्षण संवाद न सिर्फ शिक्षकों के लिए अपितु छात्रों के लिए भी ज्ञान का एक ऐसा स्रोत है जो निरंतर ज्ञानवर्धन सामग्री से
सर्वांगीण विकास का कार्य करके बच्चों को आगे बढ़ाने हेतु प्रेरित करता रहता है। मिशन की पूरी टीम को कोटि कोटि धन्यवाद आभार।
अंत में इतना ही कहना चाहती हूं कि
शिक्षा वो ताकत है जो बच्चों का सर्वांगीण विकास तो करती ही अपितु बच्चों के लिए रोजगार/व्यवसायिक विकास के द्वार खोल देती हैं जिससे वे अपना जीवन देश/समाज /परिवार के लिए भी समर्पित कर जन कल्याण की भावना का विकास कर सकेंगे।
शिक्षा, संस्कार ,संस्कृति को पल्लवित पोषित करने में सफल होंगे।
हम होंगे कामयाब एक दिन.......।।
धन्यवाद
_✏संकलन_ -
*📝टीम मिशन शिक्षण संवाद।*
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