235/2024, बाल कहानी - 19 दिसम्बर
बाल कहानी - सपनों की उड़ान
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रामपुर गाँव में चौपाल का आयोजन होने वाला था। गाँव में कलेक्टर साहिबा आने वालीं थीं। गाँव के प्राथमिक विद्यालय में खूब सजावट की गयी थी।
सारी व्यवस्थाएँ दुरुस्त कर दी गयी थीं। सभी लोग उनका इन्तजार कर रहे थे। तभी गाड़ी आती है और गाड़ी से डी० एम० साहिबा बाहर आती हैं। सभी फूल-मालाएँ पहनाकर उनका स्वागत करते हैं। चौपाल शुरू की जाती है। सभी अपनी-अपनी समस्याएँ उनके सम्मुख रखते हैं। अचानक से एक लड़की भागकर उनके सामने आती है और रोने लगती है। डी० एम० साहिबा उस बच्ची से उसका रोने का कारण पूछती हैं। वह बताती है कि, "माता-पिता ने उसके विद्यालय की पढ़ाई बन्द करा दी है और वह अभी और पढ़ना चाहती है।"
डी० एम० साहिबा उसके माता-पिता को बुलाकर उन्हें समझातीं हैं। बच्ची के पिता के द्वारा गाँव के रिवाजों का हवाला दिया जाता है। वे कहते हैं कि, "आप गाँव के रीति-रिवाजों को नहीं समझतीं। आप तो शहर की हैं। बिटिया अब सयानी हो गयी है। उसको विद्यालय भेजने में तरह तरह की दिक्कतें आती है। तब डी० एम० साहिबा उन्हें एक कहानी सुनाती हैं। वे कहतीं है कि, "अंकिता नाम की लड़की एक छोटे से गाँव में रहती थी। अंकिता पढ़ने में बहुत होशियार थी। वह कक्षा आठ की छात्रा थी। वह गॉंव के ही उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने जाती थी। अंकिता को पढ़ाई बहुत पसन्द थी। वह प्रतिदिन विद्यालय जाती थी। अंकिता की उम्र अभी पन्द्रह साल की थी लेकिन उसके माता-पिता ने उसकी पढ़ाई बन्द करा दी और उसके लिए शादी का रिश्ता ढूँढने लगे।
अंकिता को जब यह बात पता चली तो वह बहुत दुःखी हुई। उसने इसका विरोध किया और अपने आगे पढ़ने की इच्छा जतायी, लेकिन माता-पिता की जिद के आगे उसकी एक न चली। उसकी शादी तय कर दी गई। अंकिता अब उदास रहने लगी, लेकिन उसने अभी हार नहीं मानी थी। उसके सपने बहुत बड़े थे। शादी वाले दिन किसी तरह उसने महिला हेल्पलाइन नम्बर फोन करके मदद माँगी। तुरन्त ही उसकी सहायता के लिए पुलिस आयी और सभी को 'बाल विवाह' गैर कानूनी है, बताकर शादी रोक दी गयी। धीरे-धीरे समय बीतता गया और अंकिता ने अपने माता-पिता को समझा-बुझाकर किसी तरह आगे की पढ़ाई जारी रखी। अंकिता ने कड़ी मेहनत और लगन से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूर्ण की। फिर दिन-रात एक करके आई० ए० एस० की परीक्षा टॉप की और जिला अधिकारी का पद प्राप्त किया। उसकी सफलता से उसके माता-पिता ही नहीं उसके पूरे गाँव का नाम रोशन हुआ। आप जानना चाहते हैं कि वह लड़की कौन है? वह लड़की मैं हूँ।"
उनकी कहानी सुनकर गाँव वालों की आँखों मे खुशी की चमक दिखी। सभी गाँव वालों ने प्रण किया कि, "वह भी अपने बच्चियों का कम उम्र में विवाह नहीं करेंगे। वह उन्हें पूरी शिक्षा देंगे, जिससे वह अपने सपनों में रंग भर सकें।" यह सुनकर वह छोटी बच्ची मुस्कुराते हुए डी० एम० साहिबा के गले लग गयी।
#संस्कार_सन्देश -
हमें बेटियों को उनकी योग्यता के अनुसार शिक्षा के समान अवसर देने चाहिए। साथ ही साथ कम उम्र में उनका विवाह नहीं करना चाहिए।
कहानीकार-
#मृदुला_वर्मा (स०अ०)
प्रा० वि० अमरौधा प्रथम
अमरौधा (कानपुर देहात)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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