243/2024, बाल कहानी - 30 दिसम्बर


बाल कहानी - माँ की सीख
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नेहा पाँचवी कक्षा में पढ़ती थी। वह पढ़ाई में तो अब्बल थी, पर घर का छोटा-मोटा काम नहीं करती थी।
जब भी उसकी माँ उससे कुछ काम करने को कहती, वह कोई न कोई बहाना बनाकर टाल देती।
एक दिन जब माँ ने उसे चाय का खाली कप किचन में रखने को कहा तो उसने झट से जवाब दिया कि, "इसमें मैंने चाय नहीं पी है।" ऐसे ही जब माँ ने उसे टेबल साफ करने को कहा तो नेहा ने कहा, "यह टेबल मैंने गन्दा नहीं किया। भैया ने किया है, वही साफ करेगा।"
दादी माँ यह सब देख व समझ रही थी। अब दादी माँ ने नेहा को सबक सिखाने की तरकीब सोची। एक दिन जब नेहा की माँ बाजार खरीदारी करने गयी और नेहा का भाई राहुल भी खेलने चला गया। तब घर पर दादी और नेहा अकेले थे। दादी माँ ने सोचा कि, "यह अच्छा समय है नेहा को सबक सिखाने का।" दादी माँ किचन में गयी और चाय और पकोड़े बनाने लगी। नेहा खुशबू सूँघकर किचन में आ गयी और दादी माँ से चाय-पकौड़े माँगने लगी। दादी माँ झट से बोली, "यह चाय-पकौड़े मैंने बनाये हैं, मैं ही खाऊँगी।" नेहा चुप हो गयी। फिर दादी माँ ने फ्रिज से सेब निकाला और खाने लगी। नेहा ने भी दादी माँ से सेब माँगा लेकिन दादी माँ ने कहा, "यह सेब तो मैं लायी थी, मैं ही इसे खाऊँगी।" नेहा चुप हो गयी। अब दादी माँ फ्रिज में रखी चॉकलेट को भी खाने लगी। नेहा ने इस बार कुछ न बोला। वह समझ गई थी कि, "मैं भी तो हर काम को करने के लिए मना करती हूँ। माँ दिन-भर हमारे लिए ही काम करती रहती है। वह थक जाती है पर कुछ नहीं कहती। अब से मैं माँ और दादी माँ सभी बड़ों की बात मानूँगी और घर का छोटा-मोटा ही नहीं, बड़ा काम भी करूँगी।" नेहा ने मन ही मन निश्चय किया। अब नेहा पूरी तरह से बदल चुकी थी। उसे जो भी काम करने को कहते हैं, वह तुरन्त करती। माँ और दादी माँ यह सब देखकर बहुत खुश हुए।

#संस्कार_सन्देश - 
हमें अपने घर के छोटे-बड़े काम करने में अपनी माँ का हाथ बँटाना चाहिए। 

कहानीकार-
#रीना_रावत (स०अ०)
पीएम श्री जी० पी० एस० 
देवप्रयाग, टिहरी गढ़वाल,
      ( उत्तराखण्ड )

कहानी वाचन- 
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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