सन्त रविदास जी

माघ माह की पूर्णिमा जन्म हुआ सन्त रविदास का,

दयालु, धार्मिक, प्रवृत्ति परोपकारी थे सन्त महान।

उपदेशों शिक्षाओं से मार्गदर्शन किया संसार का,

'मन चंगा तो कठौती में गंगा' ना भूला है ये जहान।।


वर्ण व्यवस्था, जाति प्रथा के संत थे परम् विरोधी,

रविदास की याद में किया कीर्तन छवि उनकी पूजी।

बताया था उन्होंने हर इंसान को प्रभु की सन्तान,

निकले जुलूस यात्रा श्रद्धालु करते गंगा में स्नान।।


है आज सन्त रविदास जी की 645वीं जयन्ती,

हैं जगत में प्रचलित उनकी आज भी किवदन्तीं।

पूर्णिमा के चांद की तरह थे अद्भुत उनके विचार,

'सतगुरु' 'जगतगुरु' कहते करते हैं सेवक सत्कार।।


रचयिता

शालिनी,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय बनी, 

विकास खण्ड-अलीगंज,

जनपद-एटा।

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