ऋतुराज बसन्त
आयो री बसन्त,
मन भायो री बसन्त।
सखी खेतों में सरसों लहराई री,
ऋतुराज बसन्त देखो आयो री।।
अमवा के पेड़वा पर बौर फूलन लागे,
हरी-हरी पतियन से पेड़ ढकन लागे।
चहुँओर हरियाली छाई री,
ऋतुराज बसन्त देखो आयो री।।
मन की लय पर तन मुस्काए,
पीत पियरी ओढ़ धरा शरमाए।
कण-कण में बाज रही प्यार की शहनाई री,
ऋतुराज बसन्त देखो आयो री।।
रचयिता
डॉ0 शालिनी गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट विद्यालय मुर्धवा,
विकास खण्ड-म्योरपुर,
जनपद-सोनभद्र।
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