बसंत की देवी माँ सरस्वती

माघ मास की शुक्ल पक्ष में पंचम तिथि मनाते हैं,

मात सरस्वती को इस दिन पीताम्बर पुष्प चढ़ाते हैं।।

एक हाथ मे वीणा थामे, चार भुजाओं वाली माँ 

विद्या से भर देती है बच्चों की झोली खाली माँ


वीणावादिनी माँ तू स्वर की दाता है,

तू ही तो माता, वर्णों की ज्ञाता है।

तेरे ही चरणों मे नवाते शीष हैं,

माता देती बच्चों को आशीष है।


तेरे दर पर नित हम शीष झुकाते हैं,

अपने जीवन को हम सफल बनाते हैं।।

माघ मास की शुक्ल पक्ष में पंचम तिथि मनाते हैं,

मात सरस्वती को इस दिन पीताम्बर पुष्प चढ़ाते हैं।।


ॠतु बसंत मे एक त्योहार ये आता है,

भाँति-२ के रंग भरकर जो जीवन को महकाता है।

बागों में आती बहार है, भँवरे गुंजन करते हैं,

हवा मे उड़ती है पतंग और तितली गुन-गुन करती है।


सरसों के फूलों में भी जब चमक स्वर्ण सी आती है,

इसीलिए विद्या की देवी इस दिन पूजी जाती है।।

पीत अम्बर हम धारण करते और सबको करवाते हैं,

माघ मास की शुक्ल पक्ष में पंचम तिथि मनाते हैं।

मात सरस्वती को इस दिन पीताम्बर पुष्प चढ़ाते हैं।।


रचयिता

अंकुर पुरवार,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय सिथरा बुजुर्ग,

विकास खण्ड-मलासा,

जनपद-कानपुर देहात।



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