बच्चे आए जब स्कूल

बच्चे आए जब स्कूल,

पाठ गए थे सब वो भूल|

छोड़ दिए थे लिखना पढ़ना,

बस काम था खेती करना|| 


दो रोटी का कर इंतज़ाम,

करते काम सुबह से शाम|

लड़का लड़की एक समान,

सब करें खेतों पर काम|| 


न चिंता ना कोई फिकर,

ना थी पढ़ाई की कहीं जिकर|

लगे मशीन के काम जिधर,

मन भटकता उनका उधर|| 


कम जागरूक घरवाले,

बच्चों का भविष्य बिगाड़े|

दो रोटी का सब है खेला,

खेतों में बच्चों का टोला|| 


कई बार इन्हें समझाये,

बोलो बच्चों को, पढ़ने जाएँ|

माना खेती है मज़बूरी,

पर रखें ना बच्चे पढ़ाई से दूरी|| 


रचयिता

पूर्णिमा कुमारी,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय जरारा,

विकास खण्ड-टूंडला,

जनपद-फिरोजाबाद।

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