स्वामी रामकृष्ण परमहंस
कहते हैं उनको आध्यात्मिक गुरु सन्त महान,
उस आत्मा को रामकृष्ण परमहंस कहे जहान।
भक्ति कठोर साधना में बिताया अपना जीवन,
मानवता के पुजारी का विश्वास ईश्वर के होंगे दर्शन।।
जन्म हुआ परमहंस जी का 18 फरवरी 1836 बंगाल,
संसार को बताया उन्होंने माया रूपी, जग है जंजाल।
'रुपया पैसा है मात्र मिट्टी' इन्सा करे ईश्वर का ध्यान,
लज्जा, जाति, कुल, भय, शील इन पर न हो अभिमान।।
स्वामी विवेकानंद थे रामकृष्ण परमहंस के भक्त शिष्य,
ईश्वर को पाना था गुरु और शिष्य दोनों का ही लक्ष्य।
रामकृष्ण परमहंस को "परमहंस" मिला खिताब/सम्मान,
16 अगस्त 1886 में 50 वर्ष की आयु में छोड़ा जहान।।
रचयिता
शालिनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बनी,
विकास खण्ड-अलीगंज,
जनपद-एटा।
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