डॉ0 राजेंद्र प्रसाद
3 दिसंबर 1884 सीवान में हुए अवतरित,
अमोढ़ा( उत्तर प्रदेश) के निवासी थे प्रचारित।
दादाजी रहे हथुआ रियासत के दीवान,
फारसी व बंगाली भाषा, साहित्य से थे परिचित।।
हिंदी भाषा के प्रति था उनका अगाध प्रेम,
सुरुचिपूर्ण तथा प्रभावकारी थे उनके लेख प्रेम।
"आत्मकथा" थी उनकी बड़ी प्रसिद्ध पुस्तक,
स्वतंत्रता आंदोलन में आए वकील के रूप।।
महात्मा गांधी से थे बहुत ही प्रभावित,
उनकी लिखी पत्रिकाएँ थीं बहुत प्रचलित।
नेताजी के बाद राष्ट्रीय कांग्रेस के बने अध्यक्ष,
देश के पहले राष्ट्रपति का पद किया सुशोभित।।
सरल वेशभूषा वाले प्रतिभा संपन्न थे सज्जन,
देखने में लगते थे वे सामान्य किसान।
डॉक्टर ऑफ लॉ की उपाधि ये थे पाए,
निस्वार्थ सेवा का प्रस्तुत किया ज्वलंत उदाहरण।।
1962 में भारत रत्न की सर्वश्रेष्ठ उपाधि पाए,
भूमिपुत्र कृतज्ञता से था सर को झुकाए।
28 फरवरी 1962 जीवन से मुंँह लिया था मोड़,
गर्व है हम सबको श्रद्धा से शीश झुकाएँ।।
रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
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