बसंत मनभावन

 सज रही है गली-गली,

महक उठा है घर आँगन|

अपने घर में पूजन करने,

आया  बसंत मनभावन|| 


देखो खेतों की हरियाली,

पीत रंग है सरसों भी|

सबके मन को लगे रिझाने,

आया बसंत मनभावन|| 


देखो बहतीं बसंत हवाएँ,

ठंडी-ठंडी आहट सी|

घूमर-घूमर कर लगीं बताने,

आया बसंत मनभावन|| 


पीत रंग पहन नाचे गाए,

बसंत की उत्साह मनाये|

सब सखियाँ लगीं मंगल गाने,

आया बसंत मनभावन||


हंस सवारी, वीणा कर में,

आ गईं माँ शारदे|

विद्या का वरदान देने,

आया बसंत मनभावन|| 


रचयिता

पूर्णिमा कुमारी,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय जरारा,

विकास खण्ड-टूंडला,

जनपद-फिरोजाबाद।



Comments

Total Pageviews