पठन यात्रा
लगाना सीखोगे जब मात्रा
पूरी होवे तब पठन यात्रा
अक्षर- अक्षर शब्द हैं बनते
मात्राओं से ये आगे बढ़ते
स्वर ईंधन जब काम करता है
शब्द रूपी डब्बा तब सरकता है
व्याकरण रूपी कलपुर्जों से
मात्रा रूपी पहिया बँधता है
पंक्तिरूपी पटरी पर
शब्दरूपी डिब्बे दौड़ते हैं
अक्षरों को जब निहारते हैं
शब्द डिब्बे तब सुशोभित होते हैं
पठन यात्रा बड़ी अलबेली होती
सूर्य, चाँद तक की सैर कराती
कहीं जाने की न मारामारी होती
एक स्थान बैठ यात्रा पूरी होती
प्रतिदिन लेखन किया करो
प्रतिदिन वाचन किया करो
सस्वर वाचन और मौन वाचन से
पठन यात्रा पूरी किया करो
इस यात्रा में रस भी मिलेगा
ज्ञान मिलेगा, आनंद मिलेगा
महान व्यक्तित्वों के संग
एक अनमोल संग मिलेगा
रचयिता
प्रतिभा भारद्वाज,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यामिक विद्यालय वीरपुर छबीलगढ़ी,
विकास खण्ड-जवां,
जनपद-अलीगढ़।
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