विश्व कैंसर दिवस

बीमारी नहीं किसी को है भाती,

जीवन में इससे खुशियाँ न आतीं।

अगर लग जाए कभी कोई बीमारी,

लड़ने से पहले हार मानी नहीं जाती।।


कैंसर है एक भयानक बीमारी,

इसलिए जागरूक करने की है तैयारी।

4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाएँ,

बीमारी से जूझने की उम्मीद हो हमारी।।


समय रहते यदि इसकी पहचान हो जाए,

उपचार करना फिर आसान हो जाए।

किसी भी उम्र में इसका होना है संभव,

सेहत के प्रति लापरवाही नुकसान दे जाए।।


1993 में स्विट्जरलैंड में इसे मनाया,

उस समय 12, 7 मिलियन बीमार बताया।

लक्षण और बचाव की हो जानकारी,

ऐसे मरीजों को पृथक न बताया।।


पिछले वर्ष की थीम "मैं हूंँ और रहूंँगा" थी,

तीन साल के लिए ये थीम बनायी थी।

घातक बीमारी से हमको है लड़ना,

बीमारी को भविष्य में कम करने की योजना थी।।


रचयिता

नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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