भारत के गौरव

भारत के गौरव को जो विश्व शिखर पे लाया था
नवजागरण की अलख जो हर युवा में लाया था       
परमहंस के सानिध्य में तो उनका व्यक्तित्व निखारा
उठो, जागो, और लक्ष्य प्राप्त करो मर्म बतलाया था

दुनिया के मानचित्र पे पश्चिम का वैभव अंकित था
शस्य श्यामल के गौरव पे ,विश्व बहुत सशंकित था
भारत ठहरा  मूर्ख  अज्ञानी  ये बात उनको खटका
सब धर्मों के सम्मेलन में इस बात को झुठलाया था

भारत की इस पूज्य भूमि की, हर बात निराली है
महापुरुषों की  यह  धरती  कभी रहा न खाली है
शून्य से  शुरू होके  सृष्टि, शून्य  में मिल जाती है
सबके सम्मान  में  उन्होने भाई - बहन बोला था

उद्घोषो से मंत्रमुग्ध होके अंग्रेजों के मन डोले थे
भारत की संस्कृति को दुनिया ने स्वीकारा किया
उन्होंने ही ज्ञान  का  परचम शिकागों में लहराया
करतल ध्वनि  से  वेद-वेदान्त का कर डाला था

भारत है  देवभूमि, इस बात को जिसने मनवाया
विश्व पटल पे भारत का नाम जन तक पहुँचाया
चेतना में संयम भाव  विचलित न हो तिमिर में
उठो,जागो लक्ष्य पाओ,जीवन में सिखलाया था

लौ सा प्रबल आत्मविश्वास युवा शक्ति का देश
इंसानियत का हो धर्म सबका, इसमे न हो वेश
हाथ से हाथ मिला नव भारत का निर्माण करो
राष्ट्रभक्ति की  भावना  हर हृदय भर डाला था

हर एक युवा बने विवेकानंद यही मेरी आकांक्षा
भारत के  इस  महान संत को शत् शत् नमन है

रचयिता
वन्दना यादव " गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक ,
डोभी , जौनपुर

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