स्नेह वन्दन
‘विमल सर’ के क्या कहने, उनकी छटा निराली है ,
शिक्षक रूपी इस उपवन मे, ला दी जो हरियाली है ।
“शिक्षण संवाद का मिशन” चलाकर, शिक्षा की नव ज्योति जलाएँ,
नवाचार करने की खातिर, एक मंच पर हमें बुलाएँ ।
‘सर्वेष्ट सर’, ‘परनामी दादा’ का, सदा जो हमको प्यार मिला,
‘शिवम सर’ से मिलकर, सबमें ऊर्जा का संचार मिला ।
‘ज्योति बहन’ की प्रेम की ज्योति, आज अभी भी जलती ,
उनके साहस धैर्य से सबको, नई रौशनी मिलती है ।
‘अंजू मेम’, ‘मनुजा द्विवेदी’, ‘कंचन’, ‘नीलू’, ‘नीता’, ‘वर्षा’, ‘करुणा’,
‘बविता’, ‘बिन्दु’, ‘उमा’, ‘चेतना’, ‘प्रज्ञा’, ‘आयशा’, ‘रीना’, ‘रूबीना’ 'विजया',
‘अनीता’, ‘ममता’, ‘रिचा’, ‘शबाना’, ‘अल्पा’, ‘आरती’, ‘प्रियंका’, ‘अर्चना’ 'सुरभि',
सरिता, ‘संयोगिता’, ‘सुमनलता’, ‘हरियाली बहन’ के क्या कहने,
कई जिलों से इस मौसम मे, आयी थीं ये सब बहनें ।
चित्रकार वो ‘अर्पण शाक्य’, ‘राज कुमार’ TLM सम्राट,
‘दीनबंधु’ का गणित का ज्ञान, एक से बढ़कर एक महान ।
‘वाइज दादा’, ‘ह्रदयेश गोस्वामी’, ‘उदय’ जालौन ,’वीरेन्द्र परनामी’।
‘आशीष शुक्ला’ हरदोई वाले, 'अवनीन्द्र' जी’ के काम निराले ।
बेसिक के वो वैज्ञानिक थे , ‘डा 0 खुर्शीद’ झाँसी वाले।
‘हरीश’, ‘कुंवर जी’ बदायूं वाले, कौशांबी से ‘दीप नरायण’
चित्रकूट से ‘साकेत बिहारी’, चित्रकूट से ही ‘राम नारायण’ ।
‘विनय’, ‘अनन्त’ ललितपुर से ललितपुर से ही हैं ‘प्राणेश’ ,
‘आश्विन’, ‘अंशुमान’, ’सन्तोष’ , ‘वैभव’, ‘सुरेन्द’, ‘आलोक’, ‘मनोज’, ’चंदन’
‘अभिषेक’, ‘विनोद’, ‘प्रांजल’ और ‘महेश’ ,गोण्डा से ‘मनीष’,’रवि’ और ‘राजेश’ ,
बहुत नाम अभी बचे हैं शेष क्षमा प्रार्थी है "आनन्द "
की कोई मुझसे ना रूठे , मैं सबको जोड़ नहीँ पाया
अभी नाम बहुत से हैं छूटे, शिक्षक सभी निराले हैं,
कोई नहीं किसी से कम, तम को दूर भगाने का
सबमें है साहस और दम सपना मिशन सजाने का।
रचयिता
“गया प्रसाद आनन्द” (आनन्द गौंडवी )
📱झुनझुना -9919060170
Thanks for appreciating and you are always welcome.
ReplyDeleteवाह वास्तव में शानदार जानदार जबर्दस्त
ReplyDeleteआभार सर
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