शक्ति स्वरूपा नारी हूँ
मत बांधो मुझको बंधन में,
अपना लो मुझको अपनेपन में,
मैं शक्ति स्वरूपा नारी हूँ ,
सुशीला हूँ और सदाचारी हूँ,
गंगा बनकर बहती हूँ ,
सब अपना अर्पण कर देती हूँ,
सीता माँ की करुणा हूँ मैं,
धरा सी धैर्यधारी हूँ,
प्रेम हैं राधा जैसा मुझमें,
दामिनी की चपलता भी,
सावित्री का सतीत्व है तो,
काली सी संहारिणी हूँ,
मत बांधो मुझको बंधन में ,
मैं शक्ति स्वरूपा नारी हूँ।
रचयिता
पूजा सचान,
(स०अ०),
प्रा०वि०गुमटी नगला उ०द०,
विकास खण्ड- बढ़पुर,
जनपद-फर्रुखाबाद।
Very nice
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