युगपुरुष स्वामी विवेकानंद
अट्ठारह सौ तिरानवे में अमेरिका की धरती पर,
अभिमान बढ़ाया भारत का, जिसने धर्मधुरंधर बनकर,
बन्धु और भगिनी कहकर सब विदेशियों को पुकारा था,
जिसको सब समझे थे पिछड़ा , गूंजा उसका जयकारा था,
जिस धरती को सब मान रहे थे पिछड़ा और अशिक्षित,
उसने मानवता की शिक्षा से जग को किया प्रशिक्षित,
धर्मसभा में जिसने भारतमाता को सम्मान दिलाया,
पश्चिम को जिसने पूरब के मनुज धर्म का पाठ पढ़ाया,
हमने तो शत्रु को भी आगे बढ़कर के है अपनाया,
यह धरा कुटुम्ब हमारा है जिसने यह जग को समझाया,
जिसके लिए देव थे पीड़ित, शोषित और निराश्रित,
मानव की आत्मा की शक्ति को जिसने किया था जागृत,
मानव नहीं महामानव था, वो नरेन्द्र भारत का था,
सोई हुई मानवता का वह सच्चा उद्धारक था,
नरसेवा में अनुभूत किया था जिसने परम् आनन्द,
भारत के थे सच्चे सपूत, युग ऋषि विवेकानंद||
युगपुरुष स्वामी विवेकानंद जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
रचयिता
डॉ0 श्वेता सिंह गौर
सहायक शिक्षिका
कन्या जूनियर हाई स्कूल बावन,
हरदोई।
अभिमान बढ़ाया भारत का, जिसने धर्मधुरंधर बनकर,
बन्धु और भगिनी कहकर सब विदेशियों को पुकारा था,
जिसको सब समझे थे पिछड़ा , गूंजा उसका जयकारा था,
जिस धरती को सब मान रहे थे पिछड़ा और अशिक्षित,
उसने मानवता की शिक्षा से जग को किया प्रशिक्षित,
धर्मसभा में जिसने भारतमाता को सम्मान दिलाया,
पश्चिम को जिसने पूरब के मनुज धर्म का पाठ पढ़ाया,
हमने तो शत्रु को भी आगे बढ़कर के है अपनाया,
यह धरा कुटुम्ब हमारा है जिसने यह जग को समझाया,
जिसके लिए देव थे पीड़ित, शोषित और निराश्रित,
मानव की आत्मा की शक्ति को जिसने किया था जागृत,
मानव नहीं महामानव था, वो नरेन्द्र भारत का था,
सोई हुई मानवता का वह सच्चा उद्धारक था,
नरसेवा में अनुभूत किया था जिसने परम् आनन्द,
भारत के थे सच्चे सपूत, युग ऋषि विवेकानंद||
युगपुरुष स्वामी विवेकानंद जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
रचयिता
डॉ0 श्वेता सिंह गौर
सहायक शिक्षिका
कन्या जूनियर हाई स्कूल बावन,
हरदोई।
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