लौट फिर आया बसन्त

लौट फिर आया बसन्त
स्वागत करते तरु पुष्प अनन्त।

छायी है धरा पर हरियाली,
मस्ती में झूमें हर डाली,
लहराये खेतों में फसलें,
चल रही हवाएँ मतवाली।
हो गया है पतझड़ का अंत।
लौट फिर आया बसन्त।

खिल उठे फूल, कलियाँ मुस्काती,
 कोकिल मधुर संगीत सुनाती,
    आम के बौरों की खुशबू,
     वन उपवन को हर्षाती।
नृत्य करें मयूर स्वच्छंद
लौट फिर आया बसन्त।

कोहरे की चादर छोड़कर,
रंग धानी चूनर ओढ़कर,
 हुए ओस के मोती सुनहरे,
रुख सर्द हवा का मोड़कर।
जग को देने अनुपम आनन्द।
लौट फिर आया बसन्त।

नवरंग लिए आया मधुमास,
 जीवन में भरने नई आस,
होकर प्रसन्न बहती पवन,
 छाया हर तरफ उल्लास ।
प्रकृति ने बदला रंग ढंग
लौट फिर आया बसन्त।।

      लौट फिर आया बसन्त।।

रचयिता
गीता गुप्ता "मन"
प्राथमिक विद्यालय मढ़िया फकीरन,
विकास क्षेत्र - बावन,
जनपद - हरदोई।

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